डूब जाऊ में ज्ञान के गंगा में,
प्यास बूझ जाए इस नईया में।
ठहर जाऊ में इस डगर पे कि,
ज्ञान का भण्डार भर जाऊ मैं।
इस भण्डार को बाटु मैं सबको,
जिससे ज्ञानी हो जाए जग मेरा।
ज्ञानी लोगों में हर हो अपना,
मिलकर रहना है सपना मेरा।
हर सपना हो अपना इच्छा मेरा,
इच्छा के लिए संघर्ष हो मेरा।
कठिन संघर्ष पे हो नाम मेरा,
नाम पर अभिमान हो सबको।
हर अभिमान में सम्मान भी हो,
सम्मान में मेरा संस्कार भी हो।
हर संस्कार में सामर्थ हो मेरा,
सामर्थ में कुशलता हो मेरा।
हर कुशलता में ज्ञान हो मेरा,
ज्ञान के साथ विज्ञान भी हो।
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